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22 जून 2013

लालच इंसान को अँधा बना देता है

लालच इंसान को अँधा बना देता है 

उस दर्द की सदा वही समझ सकते हैं, जिनके अपने मुसीबत में फंसे हैं. जहां कभी इंसानों का आशियाना था, लेकिन अब सिर्फ तबाही की दास्तान बची है. जाने कितनी जिंदगियां लील लीं इस कहर ने. जो जिंदा बच गए हैं, उनके लिए कुछ बचा नहीं है. जिन पहाड़ों की तुलना स्वर्ग से की जाती थी, वहां जिंदगी अब नरक बन गई है.
उत्तराखंड में भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ के कारण फंसे लोग एक तरफ प्रकृति का कहर झेल रहे हैं, तो इंसानी लालच भी चरम पर है. यहां फंसे लोग भोजन और पानी के लिए तरस रहे हैं तो उनकी जरूरतों की आड़ में अपना धंधा चमकाने वालों की भी कमी नहीं है.

इंसानी लालच का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां फंसे लोगों को पानी की एक बोतल 100 रुपये में तो पांच रुपये के बिस्कुट का पैकेट 200 रुपये में बेचा जा रहा है. 

प्रभावित क्षेत्र से सुरक्षित बाहर आने के बाद उत्तर प्रदेश के बरेली शहर की निवासी नूतन शुक्ला ने बताया कि उन्होंने अपने तथा अपने साथ के पांच लोगों के एक वक्त के भोजन के लिए 5,000 रुपये चुकाए.

केदारनाथ में आई आपदा में अपनी मां, दादी तथा अन्य रिश्तेदारों को खो चुकीं दिल्ली के यमुना नगर की निवासी नेहा मिश्रा ने कहा कि वह स्थानीय लोगों के लालच और उनकी मौकापरस्ती को देखकर बेहद दुखी हैं, जो इस विपदा की घड़ी में भी पैसे बनाने की कोशिश कर रहे हैं. हालात से बेहद दुखी राजस्थान के नंद किशोर ने कहा कि वह अब कभी यहां नहीं लौटे

Source : Aaj tak
उस दर्द की सदा वही समझ सकते हैं, 

जिनके अपने मुसीबत में फंसे हैं. 

जहां कभी इंसानों का आशियाना था,

लेकिन अब सिर्फ तबाही की दास्तान बची है. 

जाने कितनी जिंदगियां तबाह हो गई  इस कहर में.

 जो जिंदा बच गए हैं, 

उनके लिए कुछ बचा नहीं है. 

जिन पहाड़ों की तुलना स्वर्ग से की जाती थी,  

वहां जिंदगी अब नरक बन गई है
 
उत्तराखंड में भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ के कारण फंसे लोग 


एक तरफ प्रकृति का कहर झेल रहे हैं,

तो इंसानी लालच भी चरम पर है.

 यहां फंसे लोग भोजन और पानी के लिए तरस रहे हैं 

तो उनकी जरूरतों की आड़ में 

अपना धंधा चमकाने वालों की भी कमी नहीं है.

इंसानी लालच का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 


यहां फंसे लोगों को पानी की एक बोतल 100 रुपये में 

तो पांच रुपये के बिस्कुट का पैकेट 200 रुपये में बेचा जा रहा है.

प्रभावित क्षेत्र से सुरक्षित बाहर आने के बाद 


उत्तर प्रदेश के बरेली शहर की निवासी नूतन शुक्ला ने बताया कि 

उन्होंने अपने तथा अपने साथ के पांच लोगों के 

एक वक्त के भोजन के लिए 5,000 रुपये चुकाए.

केदारनाथ में आई आपदा में अपनी मां, दादी तथा अन्य रिश्तेदारों को 


खो चुकीं दिल्ली के यमुना नगर की निवासी नेहा मिश्रा ने कहा कि 

वह स्थानीय लोगों के लालच और उनकी मौकापरस्ती को देखकर 

बेहद दुखी हैं, जो इस विपदा की घड़ी में भी 

पैसे बनाने की कोशिश कर रहे हैं. 

हालात से बेहद दुखी राजस्थान के नंद किशोर ने कहा कि 

वह अब कभी यहां नहीं लौटे





Source : Aaj tak


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